कुमार निर्मलेन्दु  द्वारा लिखी गई पुस्तक 'कश्मीर :का उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने किया विमोचन   

liveupweb ,varanasi 16 अप्रैल, जम्मू। आज जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा ने जम्मू स्थित राजभवन में कुमार निर्मलेन्दु  द्वारा लिखी गई पुस्तक 'कश्मीर : इतिहास और परंपरा' का लोकार्पण किया।

कुमार निर्मलेन्दु  द्वारा लिखी गई पुस्तक 'कश्मीर :का उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने किया विमोचन   

liveupweb ,varanasi 16 अप्रैल, जम्मू। आज जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा ने जम्मू स्थित राजभवन में कुमार निर्मलेन्दु  द्वारा लिखी गई पुस्तक 'कश्मीर : इतिहास और परंपरा' का लोकार्पण किया। कुमार निर्मलेन्दु द्वारा लिखी गई यह पुस्तक अभी हाल में ही राजकमल प्रकाशन समूह के लोकभारती प्रकाशन प्रयागराज से प्रकाशित हुई है। इस पुस्तक में कश्मीर के क्रमबद्ध इतिहास और वहाँ की लोकोन्मुख परंपराओं का एक व्यवस्थित अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। इस पुस्तक का लोकार्पण करते हुए उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा ने कहा कि कुमार निर्मलेन्दु की इस पुस्तक में नए तथ्यों को उजागर किया गया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि पाठक इस किताब को पढ़कर जम्मू कश्मीर के संबंध में एक सम्यक दृष्टि विकसित कर सकेंगे।
        लोकार्पण के अवसर पर वाराणसी के संत 'पत्ती बाबा' भी उपस्थित थे। उन्होंने लेखक कुमार निर्मलेन्दु को इस महत्त्वपूर्ण पुस्तक के लेखन के लिए शुभकामना और आशीर्वाद दिया; और यह आशा व्यक्त की कि यह पुस्तक कश्मीर के संबंध में प्रचलित भ्रांतियों का निराकरण करेगी और कश्मीर के इतिहास और परंपरा का उज्जवल पक्ष लोगों के सामने आ सकेगा।
        लेखक कुमार निर्मलेन्दु ने कहा कि इतिहास को अर्थपूर्ण तथ्यों का संपूर्ण आकलन माना गया है। इतिहास लेखन का उद्देश्य केवल दिशानिर्देश या सूचना देना नहीं है। उसका उद्देश्य देश-समाज को समुचित सलाह देना, सजग करना और प्रेरित करना भी है। 'कश्मीर : इतिहास और परंपरा' शीर्षक पुस्तक दरअसल उसी दिशा में बढ़ाया गया एक सुविचारित कदम है। कश्मीर के इतिहास पर पूर्व में लिखी गई किताबों में फारसी स्रोतों पर अधिक निर्भरता दिखाई देती है। परंतु कुमार निर्मलेन्दु की इस किताब में संस्कृत भाषा में उपलब्ध विभिन्न स्रोतों के आधार पर कश्मीर के इतिहास की छानबीन की गई है। इस पुस्तक में महाभारत काल से लेकर आधुनिक काल तक के इतिहास की प्रामाणिक रूपरेखा प्रस्तुत की गई है। कश्मीर ज्ञान की सारस्वत भूमि रही है। इसका एक नाम शारदा देश भी रहा है। कश्मीर में पैदा हुए अनेक आचार्यों ने संस्कृत काव्यशास्त्र परंपरा को नई ऊंचाइयाँ दी हैं।
'कश्मीर : इतिहास और परंपरा' शीर्षक इस पुस्तक में प्राचीन एवं मध्यकालीन कश्मीर के सांस्कृतिक, आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियों का समग्रता में मूल्यांकन किया गया है। खास बात यह है इस किताब में उन परिस्थितियों का भी विश्लेषण किया गया है जिसके कारण महाभारत काल से चली आ रही गौरवशाली परंपरा का पतन हुआ और कश्मीर का सांस्कृतिक वैभव नष्ट कर दिया गया। उल्लेखनीय है कि लेखक कुमार निर्मलेन्दु ने यह पुस्तक जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा को ही समर्पित की है। कुमार निर्मलेन्दु द्वारा पूर्व में लिखी गई कुछ पुस्तकें काफी चर्चित रही हैं, जिनमें 'मगधनामा', 'प्रयागराज और कुंभ', 'कौशांबी' और 'दिनकर : एक पुनर्विचार' शीर्षक पुस्तकें उल्लेखनीय हैं।16 अप्रैल, जम्मू। आज जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा ने जम्मू स्थित राजभवन में कुमार निर्मलेंदु  द्वारा लिखी गई पुस्तक 'कश्मीर : इतिहास और परंपरा' का लोकार्पण किया। कुमार निर्मलेन्दु द्वारा लिखी गई यह पुस्तक अभी हाल में ही राजकमल प्रकाशन समूह के लोकभारती प्रकाशन प्रयागराज से प्रकाशित हुई है। इस पुस्तक में कश्मीर के क्रमबद्ध इतिहास और वहाँ की लोकोन्मुख परंपराओं का एक व्यवस्थित अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। इस पुस्तक का लोकार्पण करते हुए उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा ने कहा कि कुमार निर्मलेन्दु की इस पुस्तक में नए तथ्यों को उजागर किया गया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि पाठक इस किताब को पढ़कर जम्मू कश्मीर के संबंध में एक सम्यक दृष्टि विकसित कर सकेंगे।
        लोकार्पण के अवसर पर वाराणसी के संत 'पत्ती बाबा' भी उपस्थित थे। उन्होंने लेखक कुमार निर्मलेन्दु को इस महत्त्वपूर्ण पुस्तक के लेखन के लिए शुभकामना और आशीर्वाद दिया; और यह आशा व्यक्त की कि यह पुस्तक कश्मीर के संबंध में प्रचलित भ्रांतियों का निराकरण करेगी और कश्मीर के इतिहास और परंपरा का उज्जवल पक्ष लोगों के सामने आ सकेगा।
        लेखक कुमार निर्मलेन्दु ने कहा कि इतिहास को अर्थपूर्ण तथ्यों का संपूर्ण आकलन माना गया है। इतिहास लेखन का उद्देश्य केवल दिशानिर्देश या सूचना देना नहीं है। उसका उद्देश्य देश-समाज को समुचित सलाह देना, सजग करना और प्रेरित करना भी है। 'कश्मीर : इतिहास और परंपरा' शीर्षक पुस्तक दरअसल उसी दिशा में बढ़ाया गया एक सुविचारित कदम है। कश्मीर के इतिहास पर पूर्व में लिखी गई किताबों में फारसी स्रोतों पर अधिक निर्भरता दिखाई देती है। परंतु कुमार निर्मलेन्दु की इस किताब में संस्कृत भाषा में उपलब्ध विभिन्न स्रोतों के आधार पर कश्मीर के इतिहास की छानबीन की गई है। इस पुस्तक में महाभारत काल से लेकर आधुनिक काल तक के इतिहास की प्रामाणिक रूपरेखा प्रस्तुत की गई है। कश्मीर ज्ञान की सारस्वत भूमि रही है। इसका एक नाम शारदा देश भी रहा है। कश्मीर में पैदा हुए अनेक आचार्यों ने संस्कृत काव्यशास्त्र परंपरा को नई ऊंचाइयाँ दी हैं।
'कश्मीर : इतिहास और परंपरा' शीर्षक इस पुस्तक में प्राचीन एवं मध्यकालीन कश्मीर के सांस्कृतिक, आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियों का समग्रता में मूल्यांकन किया गया है। खास बात यह है इस किताब में उन परिस्थितियों का भी विश्लेषण किया गया है जिसके कारण महाभारत काल से चली आ रही गौरवशाली परंपरा का पतन हुआ और कश्मीर का सांस्कृतिक वैभव नष्ट कर दिया गया। उल्लेखनीय है कि लेखक कुमार निर्मलेन्दु ने यह पुस्तक जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा को ही समर्पित की है। कुमार निर्मलेन्दु द्वारा पूर्व में लिखी गई कुछ पुस्तकें काफी चर्चित रही हैं, जिनमें 'मगधनामा', 'प्रयागराज और कुंभ', 'कौशांबी' और 'दिनकर : एक पुनर्विचार' शीर्षक पुस्तकें उल्लेखनीय हैं।

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